इंडी बनाम भिंडी बाजार
यानी इंडिया गठबंधन जिस तरह से तेजी के साथ इक्कठा हुआ उससे अधिक तेजी से बिखर गया।
अपने अपने स्वार्थ और खुद के फ़ायदे के लिए गठित और एकत्रित हुए इंडी गठबंधन भिंडी बाजार की तरह बिखरता हुआ दिखाई दिया। बिखरे हुए कूड़े कचरे को समेटने और उसे ठीक से नष्ट करने के लिए युक्ति संगत करने में समय लगता है। जिस नीति से एनडीए गठबंधन को भाजपा और आरएसएस ने युक्ति संगत ताकतवर बनाया है ठीक उसी तरह यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी अपनी कांग्रेस पार्टी को मज़बूत करने के लिए नए पैंतरे और भाजपा की नीति से ही टक्कर देनी होगी।
यहां जब राजनीतिक दलों की राजनीति की नीतियों के विषय में हम बात कर रहे हैं तो भारत के लोकतंत्र और संविधान को ध्यान में रखकर ही देश के लिए एकजुट होकर संगठित होकर देश हित की नीतियों पर चिंतन और युक्ति बनाने का प्रयास करना होगा।
बीजेपी के पास आज नरेंद्र मोदी की विचारधार को धारदार बनाने वालों में ज्यादातर लोग दूसरे दलों से टूटकर जुड़े हैं। कांग्रेस का नेतृत्व अपनी रणनीतियों को देश हित में मजबूत करने में नाकाम साबित हो रहा है। यही कमज़ोरी कांग्रेस के बिखराव की वजह है और इसका फ़ायदा भाजपा को मिला है।
हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनावों के का विश्लेषण और चिंतन करें तो कांग्रेस को नुकसान की वजह और भाजपा को फ़ायदा मिला। खासकर जब हम बात राजस्थान की करते हैं तो कांग्रेस के वैसे ही हालात आज हरियाणा और पंजाब में भी हैं। आगामी 2024 लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की मज़बूत रणनीति नज़र नहीं आ रही है।
जिस तरह से कांग्रेस के राजस्थान में अलग अलग गुट्टों में मतभेद पार्टी की छ्वी बिगाड़ी है, ठीक उसी तरह आज पंजाब और हरियाणा की तस्वीर और तकदीर ने भाजपा को मज़बूत किया है। भाजपा ने कांग्रेस की कमजोरियों का फ़ायदा उठाया है। यही वजह रही कि कांग्रेस को भीतरी आघात पहुंचा है और बीजेपी ताकतवर बनाया।
कुमारी सैलजा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मजबूती प्रदान करने में नाकाम रही हैं। रणदीप सिंह सुरजेवाला मध्यप्रदेश में असफल रहे हैं और राजस्थान में सुखजिंदर सिंह रंधावा पार्टी को मज़बूत करने में नाकामयाब रहे। कांग्रेस की भीतरी गुट्टबाजी मतभेद और कमजोर रणनीतियों का भाजपा ने पूरा फ़ायदा उठाया। भाजपा ने कांग्रेस की जीती हुई बाजी को8 पलट दिया।
वक़्त रहते कांग्रेस अपनी गलतियों से सबक लेकर अपने संगठन को मजबूत करने के लिए उचित कारगर कदम नहीं उठाती तो निश्चित तौर पर लोकसभा चुनावों में भी औंधे मुंह गिरेगी। सबसे पहले उन्हें तत्काल गुट्टबाजी खत्म करनी होगी। ठोस निर्णय लेकर नई रणनीति बनानी होगी। प्रबुद्ध विचारकों की मदद लेनी होगी, बल्कि बुद्धिजीवी चिंतकों को विशेष शक्तियों के साथ एक फ्रंट फेसिंग और एक रीढ़ तैयार करनी होगी। ऐसा नहीं होता तो भविष्य में कांग्रेस बिखर कर शून्य हो जाएगी।